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spiritual

स्वामी विवेकानन्द जी के भाषण

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सम्माननीय बन्धुवर नमस्कार,स्वामी विवेकानन्द जी के शिकागो भाषण, जिसे सुन कर सारा विश्व उन्हे विश्व धर्म महासम्मेलनीके विजेता माने बिना रह न सके और उन्के भाषणो...

अग्नी मंत्र (स्वामी विवेकानन्द)

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हे सखे, तुम क्योँ रो रहे हो ? सब शक्ति तो तुम्हीं में हैं। हे भगवन्, अपना ऐश्वर्यमय स्वरूप को विकसित करो। ये तीनों लोक तुम्हारे पैरों के नीचे हैं। जड की कोई ...

स्वामी विवेकानन्द जी का अनुभव

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वर्तमान अवस्था में काम, अर्थ और यश – ये तीन बन्धन मानो मुझसे दूर हो गये हैं और पुनः यहाँ भी मैं वैसा ही अनुभव कर रहा हूँ, जैसा कभी भारतवर्ष में मैंने किया था...

मंत्र तथा अर्थ (आभारित विवेकानन्द साहित्य)

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मंत्र तथा अर्थ (आभारित विवेकानन्द साहित्य) 1) किन्नाम रोदिषि सखे त्वयि सर्वशक्ति:आमन्त्रयस्व भगवन् भगदं स्वरूपम्।त्रैलोक्यमेतदखिलं तव पादमूलेआत्मैव हि प्रभवत...

ध्यान

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तुममें से जिनको सुभीता हो, वे साधना के लिए यदि एक स्वतंत्र कमरा रख सकें, तो अच्छा हो। इस कमरे को सोने के काम में न लाओ। इसे पवित्र रखो। बिना स्नान किये और शर...

स्वामी विवेकानन्द जी के विचार

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मेरा आदर्श अवश्य ही थोडे से शब्दों में कहा जा सकता है - मनुष्य जाति को उसके दिव्य स्वरूप का उपदेश देना, तथा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उसे अभिव्यक्त करने क...

स्वामी विवेकानन्द जी का स्वास्थ्य

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लेकिन दुर्भाग्यवश उस गाँव के रास्ते में ही मुझे तेज़ बुखार आ गया और फिर क़ै - दस्त होने लगी, जैसी हैज़े में होती है। तीन - चार दिन बाद बुखार फिर हो आया -- और इस...

स्वामी विवेकानन्द जी का जीवन

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परमात्मा की कृपा पर मेरा अखण्ड विश्वास है। वह कभी टूटने वाला भी नहीं। धर्मग्रन्थो पर मेरी अटूट श्रध्दा है। परन्तु प्रभु की इच्छा से मेरे गत छः सात वर्ष निरन्...

गीता स्लोकार्थ (आभारित विवेकानन्द साहित्य)

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जो लोग जिस प्रकार मेरी शरण लेते हैं, मैं उन्हे उसी प्रकार भजता हूँ अर्थात उन पर उसी प्रकार अनुग्रह करता हूँ, क्योंकि सभी मनुष्य सब प्रकार से मेरे ही मार्ग का...

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